वॉशिंगटन/इस्लामाबाद। अमेरिकी पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा पाकिस्तान के साथ एक संभावित तेल व्यापार समझौते की घोषणा को लेकर पाकिस्तान में सोशल मीडिया पर खूब चुटकियां ली जा रही हैं। यूज़र्स ने इस प्रस्ताव को “कॉमेडी शो” बताते हुए ट्रंप के दावे का मज़ाक उड़ाया है।
ट्रंप ने हाल ही में कहा कि अमेरिका पाकिस्तान के तेल भंडार की खोज और विकास में सहयोग करेगा, जिससे पाकिस्तान भविष्य में भारत को भी तेल बेच सकेगा। हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि यह दावा न केवल अतिशयोक्ति है, बल्कि व्यावहारिक रूप से संभव भी नहीं लगता।
तेल भंडार की हकीकत:
पाकिस्तान के पास 2016 के आंकड़ों के अनुसार मात्र 353.5 मिलियन बैरल तेल भंडार है, जो वैश्विक दृष्टि से बेहद कम (0.021%) है। देश की दैनिक खपत 5.56 लाख बैरल है, जबकि उत्पादन केवल 88,262 बैरल प्रतिदिन होता है। देश को अपनी जरूरत का 85% तेल आयात करना पड़ता है।
डील की व्यवहारिक चुनौतियाँ:
विशेषज्ञों का अनुमान है कि तेल परियोजनाओं को विकसित करने में कम से कम 5 अरब डॉलर और 4–5 साल लग सकते हैं। पाकिस्तान पहले से ही 126 अरब डॉलर के विदेशी ऋण के बोझ तले दबा है, और उसके पास तेल ढांचा विकसित करने के लिए आवश्यक रिफाइनरियां, पाइपलाइन और बंदरगाहों की भी भारी कमी है।
राजनीतिक अस्थिरता और रसद समस्याएं भी इस परियोजना को मुश्किल बनाती हैं। इसके अलावा, भारत को तेल निर्यात करने के लिए दोनों देशों के बीच रिश्तों में सुधार अनिवार्य है, जो फिलहाल संभव नहीं दिखता।
सोशल मीडिया का तंज:
ट्रंप के बयान पर पाकिस्तानी यूज़र्स ने प्रतिक्रिया देते हुए कहा—
“यह व्यापार डील नहीं, एक कॉमेडी शो है।”
“जब खुद के लिए तेल नहीं है, तो भारत को क्या बेचेंगे?”
फिलहाल, यह डील ज़मीन पर उतरने की बजाय कागज़ों और ट्विटर प्रतिक्रियाओं तक ही सीमित दिख रही है।