हिन्द सागर प्रलोका,शेष लेख | अशोक कुमार सिंह | जब भी हम भारत माता के उन अमर सपूतों की वीरगाथाएं सुनते हैं, जिन्होंने अपने प्राणों की आहुति देकर देश को आज़ादी दिलाई, तो हृदय श्रद्धा से झुक जाता है। ये वो नाम हैं जो ना मिटे हैं, ना कभी मिटेंगे — भगत सिंह, रानी लक्ष्मीबाई, महाराणा प्रताप, सुभाष चंद्र बोस, कैप्टन विक्रम बत्रा, अब्दुल हमीद और वे गुमनाम वीर, जिनकी कहानियां इतिहास की किताबों में नहीं, जनता के दिलों में दर्ज हैं।
इन अमर सेनानियों का जीवन हमें यही सिखाता है कि —“राष्ट्र सर्वोपरि है।”
इनके लिए न धर्म की दीवार मायने रखती थी, न जाति, भाषा या क्षेत्र की सीमाएं। उनके मन में केवल एक लक्ष्य था —
भारत माता को कभी झुकने न देना।आज जब हमारा देश विकास की ऊँचाइयों की ओर बढ़ रहा है, तो हमें यह नहीं भूलना चाहिए कि यह प्रगति उन वीरों की कुर्बानियों की नींव पर खड़ी है। आज़ादी का सूरज उन्हीं के रक्त से सिंचित हुआ है।
हमें उनके बलिदानों का सम्मान करते हुए —
अपने कर्तव्यों के प्रति सजग रहना होगा,
समाज में एकता, प्रेम और भाईचारा बनाए रखना होगा,
भ्रष्टाचार, आतंक और हिंसा का डटकर विरोध करना होगा।
हमें यह भी याद रखना चाहिए कि कई वीरों ने अपनी जवानी तक पूरी होने से पहले देश के लिए जान न्योछावर कर दी। उनके इरादे इतने बुलंद थे कि मौत भी उनके आगे नतमस्तक थी। आज भी उनकी आवाज़ गूंजती है —
“सरफ़रोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है…”
सच्चा राष्ट्रभक्त वही है, जो देशभक्ति को शब्दों से नहीं, अपने कर्मों से सिद्ध करे। हमें मिलकर एक ऐसा भारत गढ़ना है।
जहाँ हर नागरिक को गर्व हो,
जहाँ बच्चे जानें कि यह देश केवल ज़मीन का टुकड़ा नहीं,
बल्कि करोड़ों शहीदों का सपना है।
आज जब हम स्वतंत्रता, लोकतंत्र और संविधान की छाया में जी रहे हैं, तो यह हमारी ज़िम्मेदारी है कि
अमर सपूतों की जलाई मशाल को कभी बुझने न दें।
भारत माता के अमर सपूतों को कोटिशः नमन।
उनका बलिदान हमारी प्रेरणा है,
उनका जीवन हमारा मार्गदर्शन।