जुलाई 2025। केरल हाईकोर्ट- के न्यायाधीश वी. जी. अरुण ने एक सार्वजनिक कार्यक्रम में कहा कि “जो बच्चे किसी धर्म के दायरे में नहीं पले-बढ़ते, वही भविष्य की सच्ची उम्मीद हैं।” उन्होंने कहा कि ऐसे बच्चे ही वे साहसी प्रश्न पूछने की क्षमता रखते हैं, जिन्हें अक्सर समाज में लोग पूछने से डरते हैं।
जस्टिस अरुण का यह वक्तव्य धार्मिक तटस्थता, बाल अधिकारों और सामाजिक चेतना से जुड़ा एक महत्वपूर्ण संकेत माना जा रहा है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्र सोच और प्रश्न पूछने की आज़ादी ही एक सशक्त लोकतंत्र की नींव है।