हिन्द सागर प्रलोका,विशेष संवाददाता अशोक कुमार सिंह | भोपाल , मालेगांव विस्फोट मामले में 17 वर्षों के लंबे न्यायिक संघर्ष के बाद, 28 जुलाई 2025 को एनआईए की विशेष अदालत ने साध्वी प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कर्नल श्रीकांत पुरोहित को सभी आतंकवाद के आरोपों से बाइज्जत बरी कर दिया।
मीडिया से विशेष बातचीत में साध्वी प्रज्ञा ने कहा –
“मेरी रीढ़ की हड्डी टूटी, फेफड़े की झिल्ली फटी, लेकिन मेरा आत्मबल नहीं टूटा।”
उन्होंने बताया कि 2008 में गिरफ्तारी के बाद पुलिस द्वारा अमानवीय यातनाएं दी गईं।
“हर रोज़ दीवार पर फेंका जाता था। भगवा वस्त्र छीन लिया गया, मेरी अस्मिता को कुचला गया।”
साध्वी ने आरोप लगाया कि उनसे RSS, योगी आदित्यनाथ और इंद्रेश कुमार के खिलाफ झूठे बयान देने का दबाव बनाया गया।
“स्वामी अग्निवेश जेल में मिलने आए। बोले – ‘चिदंबरम-दिग्विजय हमारे मित्र हैं, नाम ले लो, बाहर आ जाओगी।’ लेकिन मैंने सच नहीं छोड़ा।”
उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें सिर्फ ‘भगवा वस्त्र पहनने’ के कारण निशाना बनाया गया।
“भगवा आतंक’ शब्द सिर्फ हिंदू धर्म को बदनाम करने के लिए गढ़ा गया था।”
अपने पिता के निधन को याद करते हुए वे भावुक हुईं:
“मेरी गिरफ्तारी के बाद वे सदमे में थे। यह दर्द वो सह न सके।”
अदालत ने कहा कि कोई ठोस सबूत नहीं थे, और यह मामला संभवतः राजनीतिक दुर्भावना से प्रेरित था।
“सत्य की विजय हुई। सत्यमेव जयते।”
– साध्वी प्रज्ञा
इस ऐतिहासिक फैसले को भारतीय न्यायपालिका, धार्मिक स्वतंत्रता और मानवाधिकारों की दिशा में एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर मानता है।