कर्नूल कांड से सीखें संवाद और समर्पण का अर्थ
कर्नूल में नवविवाहित तेजस्वर रेड्डी की हत्या सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं, बल्कि उस सामाजिक तानेबाने का हिस्सा है जो परिवार और मूल्यों में गहराती दरारों की ओर इशारा करती है। एक ऐसा मामला, जिसमें पत्नी इश्वर्या, सास सुजाता और कथित प्रेमी राजू जैसे नाम व्यक्तिगत स्वार्थ और अवैध संबंधों में लिप्त होकर विश्वास और समर्पण जैसे मूल तत्वों का गला घोंटते दिखे, यह सवाल उठाने को मजबूर करता है कि क्या परिवार जैसे मूलभूत संस्थान में संवाद और संस्कारों का स्थान खत्म हो रहा है?
पुलिस जांच में खुलासा हुआ कि शादी के तुरंत बाद इश्वर्या और राजू के बीच दो हजार से अधिक फोन कॉल हुए — यह इंगित करता है कि व्यक्तिगत इच्छाओं और अवैध रिश्तों का जाल परिवार जैसे मूल तत्व को खोखला कर सकता है। यह मामला हमें यह सोचने और सीखने का अवसर देता है कि विश्वास और संवाद में दरारें अगर समय रहते न सुलझें तो वे परिवार और सामाजिक मूल्यों दोनों को तबाह कर सकती हैं।
समय है कि परिवार, स्कूल और सामाजिक संगठन संवाद, विश्वास और जिम्मेदारी जैसे मूल तत्वों को सुदृढ़ करने का जिम्मा निभाएं। कानून अपना काम करेगा और दोषियों को सज़ा मिलेगी, मगर यह घटना हमें यह सीखने और सिखाने का मौका देती है कि परिवार में संवाद लौटे, मूल्यों का बीज दोबारा बोया जाए और व्यक्तिगत इच्छाओं और जिम्मेदारी के बीच उचित समन्वय स्थापित किया जाए। अगर विश्वास जिंदा रहेगा तो परिवार जिंदा रहेगा, और परिवार जिंदा रहेगा तो यह समूचा समाज सहानुभूति, संवाद और समर्पण के मूल तत्वों से सशक्त होकर आगे बढ़ सकेगा।