हिन्द सागर प्रलोका,संवाददाता, 1 जुलाई 2025| भारत में वस्तु एवं सेवा कर (GST) को लागू हुए आज आठ साल पूरे हो गए। इस अवसर पर जहां सरकार इसे “आर्थिक सुधार की क्रांति” बता रही है, वहीं विपक्ष इसे “आर्थिक अन्याय” और छोटे व्यापारियों के लिए नुकसानदायक करार दे रहा है।
सरकार का पक्ष: ‘वन नेशन, वन टैक्स’ का सपना साकार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने GST को “एक राष्ट्र, एक कर” की दिशा में ऐतिहासिक कदम बताते हुए कहा कि इसने कर प्रणाली को सरल और पारदर्शी बनाया है। वित्त मंत्रालय के अनुसार, GST से कर आधार में विस्तार, राजस्व वृद्धि, और लॉजिस्टिक्स लागत में कमी आई है। सरकार का दावा है कि इससे MSMEs को पूरे देश में कारोबार बढ़ाने में मदद मिली है और इंस्पेक्टर राज पर लगाम लगी है।
विपक्ष का आरोप: छोटे व्यवसायों पर बोझ
कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने GST को “गब्बर सिंह टैक्स” बताते हुए इसे छोटे व्यापारियों के लिए विनाशकारी बताया। विपक्ष का कहना है कि कई टैक्स स्लैब, बार-बार नियमों में बदलाव और तकनीकी जटिलताएँ छोटे कारोबारियों को प्रभावित कर रही हैं। साथ ही, वे इसे राज्यों की वित्तीय स्वायत्तता में कटौती भी मानते हैं।
आठ वर्षों का मूल्यांकन
GST ने भारत को एकीकृत आर्थिक क्षेत्र में बदला है, लेकिन अनुपालन जटिलताओं, MSMEs की चुनौतियों और सिस्टम की तकनीकी खामियों को लेकर अब भी बहस जारी है। आने वाले वर्षों में यह देखना होगा कि सरकार इन चुनौतियों का समाधान कैसे करती है और विपक्ष अपनी आपत्तियों को कैसे धार देता है।