नई दिल्ली, जुलाई 2025। केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री श्री अमित शाह ने कहा है कि रिटायरमेंट के बाद वे अपना जीवन वेदों, उपनिषदों के गहन अध्ययन और प्राकृतिक खेती के प्रचार-प्रसार को समर्पित करने की योजना बना रहे हैं। उन्होंने यह विचार ‘सहकार संवाद’ नामक कार्यक्रम में व्यक्त किया, जो गुजरात, मध्य प्रदेश और राजस्थान की सहकारी समितियों से जुड़ी महिलाओं के साथ संवाद हेतु आयोजित किया गया था।
भारत के विकास का मजबूत माध्यम बताते हुए कहा कि “सहकारिता के माध्यम से महिलाओं को आत्मनिर्भर और सशक्त बनाना केंद्र सरकार का लक्ष्य है।” उन्होंने यह भी कहा कि महिलाएं अब केवल उपभोक्ता नहीं, बल्कि सहकारिता के संचालन और नेतृत्व में भी अग्रणी भूमिका निभा रही हैं।
श्री शाह ने कहा कि भारतीय परंपरा, संस्कृति और कृषि पद्धतियों की जड़ें वेदों और उपनिषदों में हैं, और उन्होंने संकल्प लिया है कि जीवन के अगले चरण में वे इन आध्यात्मिक और प्राकृतिक आयामों को समाज के हित में समर्पित करेंगे।
उन्होंने सहकारी आंदोलन को ग्रामीकार्यक्रम में अमित शाह ने महिला समूहों द्वारा किए जा रहे कार्यों की सराहना की और कहा कि “महिला भागीदारी के बिना भारत में सहकारिता आंदोलन को सफल नहीं बनाया जा सकता।” उन्होंने प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए महिला किसानों को प्रशिक्षित करने की आवश्यकता पर बल दिया और यह भी कहा कि सहकारी संस्थाएं किसानों के जीवन में आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाने का माध्यम बन रही हैं।
मुख्य बिंदु:
वेद और उपनिषदों का अध्ययन: रिटायरमेंट के बाद इन्हें जीवन का लक्ष्य बनाएंगे।
प्राकृतिक खेती को बढ़ावा: रासायनिक खेती के विकल्प के रूप में समाज में जागरूकता फैलाने का संकल्प।
महिला सशक्तिकरण: सहकारी समितियों में महिलाओं की भूमिका को सराहा, प्रशिक्षण और नेतृत्व में भागीदारी की बात की।
सहकारिता आंदोलन: ग्रामीण भारत की रीढ़ मानते हुए इसे आत्मनिर्भरता का आधार बताया।