हिंद सागर PLK” नई दिल्ली, संसद भवन, 21 जुलाई — संसद के मानसून सत्र में गतिरोध जारी है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार जहां खुली और गंभीर चर्चा के पक्ष में खड़ी है, वहीं विपक्ष का व्यवहार इस बार फिर सवालों के घेरे में है। सरकार ने विपक्ष को कई बार खुली चर्चा का निमंत्रण दिया, लेकिन विपक्षी दलों ने हंगामा, नारेबाजी और वॉकआउट की रणनीति अपनाई।
संसदीय कार्य मंत्री, अर्जुन मेघवाल ने कहा, “हम चाहते हैं कि देशहित के मुद्दों पर गंभीर विमर्श हो, लेकिन विपक्ष केवल राजनीतिक स्टंट और भ्रम फैलाने में जुटा है।”
बीते कुछ दिनों से विपक्ष ने विभिन्न मुद्दों को लेकर संसद की कार्यवाही में व्यवधान डाला, जिनमें महंगाई, बेरोजगारी, और कानून-व्यवस्था से जुड़ी घटनाएं शामिल हैं। हालांकि, सरकार ने बार-बार इन मुद्दों पर चर्चा के लिए समय देने की सहमति दी, लेकिन विपक्ष ने केवल प्रदर्शन कर सदन को ठप करने का प्रयास किया।
इस घटनाक्रम से स्पष्ट हो गया है कि जहां सरकार विकास और संवाद को प्राथमिकता दे रही है, वहीं विपक्ष का लक्ष्य राजनीतिक अस्थिरता और जनता में भ्रम पैदा करना है।
संसद लोकतंत्र का मंदिर है, जहां संवाद और बहस से समाधान निकलते हैं। लेकिन जब बहस की जगह हंगामा ले ले, तो यह राष्ट्रहित के विरुद्ध जाता है। सरकार ने जहां समाधान और विकास का रास्ता दिखाया है, वहीं विपक्ष अब भी टकराव और ठहराव की राजनीति पर अडिग नजर आ रहा है।


