हिन्द सागर प्रालोका | नई दिल्ली | 2 जुलाई 2025,नेशनल हेराल्ड मामले की सुनवाई के दौरान प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को दिल्ली की विशेष अदालत में कांग्रेस के शीर्ष नेतृत्व पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगाया। ईडी ने दावा किया कि गांधी परिवार के प्रभाव वाले ‘यंग इंडिया’ नामक कंपनी के माध्यम से ‘एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड’ (एजेएल) की लगभग ₹2000 करोड़ की संपत्ति को मात्र ₹90 लाख में हड़पने की साजिश रची गई।
ईडी की दलील: आर्थिक धोखाधड़ी की सुनियोजित योजना
ईडी की ओर से अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल वी. राजू ने अदालत में कहा कि यंग इंडिया की स्थापना सिर्फ इस उद्देश्य से की गई कि वह एजेएल की बहुमूल्य संपत्ति पर अधिकार जमा सके। उन्होंने बताया कि कंपनी ने 90 करोड़ के शेयर नहीं लिए, बल्कि केवल ₹50 लाख का ऋण दिखाकर एजेएल का स्वामित्व हासिल कर लिया।
राजू ने कहा, “यह मामला किसी ऐतिहासिक संस्था के अधिग्रहण का नहीं, बल्कि एक सुनियोजित वित्तीय अनियमितता का है। संपत्ति की कीमत और सौदे की पारदर्शिता के बीच साफ विरोधाभास है।”
अदालत के सवाल: बिना लाभ की संभावना के निवेश क्यों?
न्यायालय ने सुनवाई के दौरान ईडी से पूछा कि जब यंग इंडिया को एजेएल की वित्तीय स्थिति की जानकारी थी, तब उसने यह सौदा क्यों किया? अदालत ने इसे एक ‘संवेदनशील लेन-देन’ बताते हुए कहा कि यह स्पष्ट किया जाना आवश्यक है कि लाभ की अनुपस्थिति में कंपनी ने इतना जोखिम क्यों उठाया।
शेल कंपनियों के माध्यम से फंडिंग का आरोप
ईडी के अनुसार, यंग इंडिया कोलकाता स्थित कथित शेल कंपनियों के जरिए ₹1 करोड़ का ऋण प्राप्त करती है, जबकि उस समय कंपनी की बैलेंस शीट पूरी तरह नकारात्मक थी। यह धनराशि यंग इंडिया को ऐसे समय प्राप्त हुई जब कंपनी के पास कोई स्थायी संपत्ति या आय का स्रोत नहीं था।
ईडी ने अदालत को बताया कि ये सारे लेन-देन गांधी परिवार के संज्ञान और नियंत्रण में हुए। इसके बाद यंग इंडिया, एजेएल की होल्डिंग कंपनी बन जाती है, और दशकों पुरानी एजेएल उसकी एक सहायक संस्था के रूप में सीमित हो जाती है।
गांधी परिवार की भूमिका पर सवाल
ईडी की चार्जशीट के अनुसार, यंग इंडिया के 76% शेयर राहुल गांधी और सोनिया गांधी के पास हैं। एजेंसी ने दावा किया कि दोनों नेता न केवल कंपनी के स्वामी हैं, बल्कि उनके निर्णयों और नियंत्रण में ही यंग इंडिया का पूरा संचालन होता रहा है।
ईडी का कहना है कि यदि एआईसीसी (अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी) को मामले में अभियुक्त बनाया जाता है, तो कंपनी अधिनियम की धारा 70 के तहत राहुल और सोनिया गांधी की व्यक्तिगत जिम्मेदारी भी तय हो सकती है।
अदालत ने मांगी संपत्ति स्वामित्व की विस्तृत जानकारी
अदालत ने ईडी से यह स्पष्ट करने को कहा है कि वर्ष 2010 से पहले — जब यंग इंडिया का गठन नहीं हुआ था — उस समय एजेएल की शेयरहोल्डिंग और स्वामित्व ढांचा क्या था। ईडी को यह विवरण अगली सुनवाई से पहले प्रस्तुत करना होगा।
राजनीतिक प्रतिक्रियाओं पर सन्नाटा
सुनवाई के बाद बुधवार देर शाम तक कांग्रेस पार्टी या गांधी परिवार की ओर से इस पर कोई औपचारिक प्रतिक्रिया नहीं आई थी। हालांकि पूर्व में कांग्रेस इस मामले को ‘‘राजनीतिक प्रतिशोध’’ का उदाहरण बता चुकी है।
मामला बढ़ती पेचीदगियों की ओर
नेशनल हेराल्ड केस एक बार फिर कानूनी और राजनीतिक विमर्श के केंद्र में आ गया है। ईडी के नए आरोपों से कांग्रेस नेतृत्व के सामने गंभीर चुनौतियां खड़ी हो सकती हैं। अब निगाहें अगली सुनवाई पर हैं, जिसमें ईडी को ऐतिहासिक संपत्ति के स्वामित्व से संबंधित जानकारी अदालत के समक्ष रखनी है।
यह मामला अभी न्यायिक विचाराधीन है।