हिन्द सागर प्रालोका,विदेश नीति डेस्क | 2 जुलाई 2025 ,विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के उस दावे को खारिज कर दिया है, जिसमें ट्रंप ने कहा था कि भारत-पाकिस्तान के बीच संघर्षविराम उनकी मध्यस्थता से हुआ। जयशंकर ने स्पष्ट किया कि यह दावा तथ्यहीन है।
उन्होंने कहा, “मैं उस समय उस कक्ष में मौजूद था, जब 9 मई की रात अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से बात कर पाकिस्तान के संभावित हमले की चेतावनी दी थी।”
जयशंकर ने बताया कि प्रधानमंत्री मोदी पाकिस्तान की धमकियों से विचलित नहीं हुए और उन्होंने साफ संदेश दिया कि भारत हर हाल में निर्णायक जवाब देगा। अगले दिन पाकिस्तान ने खुद संघर्षविराम की पहल की। पहले अमेरिकी विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इसकी सूचना दी, फिर पाक सेना के मेजर जनरल काशिफ अब्दुल्ला ने भारतीय समकक्ष से सीधे संपर्क कर सीजफायर की अपील की।
विदेश मंत्री ने यह भी स्पष्ट किया कि भारत-पाक संघर्षविराम का अमेरिका के साथ व्यापारिक वार्ताओं से कोई संबंध नहीं था। उन्होंने कहा कि दोनों प्रक्रियाएं अलग-अलग चल रही थीं और पेशेवर रूप से संचालित की जा रही थीं।
आतंकवाद पर भारत का सख्त रुख
क्वाड विदेश मंत्रियों की बैठक में जयशंकर ने आतंकवाद के खिलाफ भारत की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को दोहराते हुए कहा कि पीड़ितों और आतंकियों को एक समान नहीं देखा जा सकता।
उन्होंने कहा कि भारत अपने नागरिकों की सुरक्षा के लिए आत्मरक्षा का अधिकार सुरक्षित रखता है और वह किसी ‘परमाणु ब्लैकमेल’ के आगे नहीं झुकेगा। उन्होंने चेतावनी दी कि आतंकवादी समूहों को समर्थन देने वाली सरकारों को अब जवाबदेह ठहराया जाएगा।
जयशंकर ने हालिया पहलगाम आतंकी हमले की भी कड़ी निंदा की और क्वाड साझेदार देशों से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक सहयोग की अपेक्षा जताई।